कविता "दो भाई"


दो भाई

"इस कविता के माध्यम से मैंने एकता में बल होने का वर्णन किया है|"

घर में रहते थे दो भाई
बात-बात पर करें लड़ाई
मम्मी के हुआ नाक में दम
और पापा की भी शामत आई
मम्मी-पापा बहुत समझाते 
पर वो दोनों बाज़ न आते
एक दिन वो रह गये अकेले
न मम्मी न पापा घर में
एक बंदर घर पर आ धमका
सिट्टी-पिट्टी गुम हुई भाई
बात दोनों को याद ये आयी
मम्मी ने जो थी बतलाई
एकता में होती ताक़त
सोचा रहेंगे साथ में मिलकर
फिर दोनों ने युक्ति बनाई
दिवाली के बम्ब रखे थे
पर वो थोड़ा ऊँचा रखे थे
झट से घोड़ा बना बड़ा भाई
छोटे ने लिए बम्ब उठाए
करा जब बम्ब ने तेज धमाका
बंदर बाहर जोर से भागा
टल गई जो मुसीबत थी आई
अब दोनों रहने लगे प्रेम से
अब खिलौनों से मिलकर खेलते
बांटते अब चोकलेट और मिठाई
दोनों ने प्यार की मिसाल बनाई
घर में रहते थे दो भाई
(अर्चना)






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