कविता "बिटिया रानी"


बिटिया रानी

"प्रस्तुत कविता में मैंने एक छोटी बच्ची की खूबियों का बखान किया है|"

देखो एक है बिटिया रानी 
लाल फ्रॉक में लगे सुहानी
बातों से वो दिल बहलाती
तोतली आवाज में है गाती
नाच-नाच के भी दिखलाती
जैसे घूमती हो फिरकी
चुन्नी है वो ऐसे ओढ़ती
जैसे ब्याह हुआ हो अभी
और नकली में बना के लाती
तरह-तरह के पकवान भी
पापा की है राजदुलारी
और दादी की गुड्डो भी
कोई पंगा नहीं है लेता
बाबा की है चहेती भी
देखो एक है बिटिया रानी 
लाल फ्रॉक में लगे सुहानी
(अर्चना)





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