prakriti par do kavitayein | hindi poems on nature
देखो हमारी प्रकृति
कितनी सुंदर कितनी रंगमई
देखो हमारी प्रकृति
कहीं पेड़ तो कहीं नदी
देखो हमारी प्रकृति
कहीं मरु फैले हुए
कहीं उपवन से भरी
कहीं मंडराती तितलियाँ
कहीं शंखो से सजी
देखो हमारी प्रकृति
देखो हमारी प्रकृति
कहीं घुमड़ आए मेघ काले
कहीं तपति वसुधा भी दिखी
कहीं नाचते मोरों का झुंड
कहीं पर्वत पर शांत हवा बहती
देखो हमारी प्रकृति
देखो हमारी प्रकृति
इसमे गहरे रहस्य भी कई
कैसे है सीप सुंदर मोती देती
कैसे खिलता कमल कीच में
मीठा शहद कैसे मक्खी निर्मित करती ?
वाह- वाह हमारी प्रकृति
वाह- वाह हमारी प्रकृति
अगर न होती प्रकर्ति
सोचता हूँ मैं कभी
के अगर न होती प्रकृति
तो कैसे मिलती प्रेरणा
एक कवि को लिखने की
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
अगर न होती ये नदी
तो कैसे प्रेरणा मिलती
कल- कल बहना ना कभी रुकना
ये देती सीख सदा चलने की
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
अगर ना होते ये वृक्ष
तो कैसे प्रेरणा मिलती
वजन दार ही तो झुकता है
ये देते सीख समृद्ध होकर , भी विनम्र बनने की
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
अगर ना होते ये पुष्प
तो कैसे प्रेरणा मिलती
महकते रहते टूट कर भी
ये देते सीख सदैव खुश रहने की
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
हाँ सोचता हूँ मैं कभी
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