बाल कविता"मोटी आंटी"






पड़ोस के घर में रहने वाली
मोटी आंटी बड़ी हैं प्यारी
अंकलजी तो हैं दुबले–पतले
जोड़ी इनकी लगती न्यारी
काम हैं उनको दो ही भाते
एक खाना और करनी बातें
जब वो हमारे घर पर आयें
दो–तीन घंटे बैठ के जाएँ
इधर-उधर की सारी ख़बरें
सबसे पहले उनसे मिल जाएँ
अंकलजी की आधी तनखा तो
वो तो शॉपिंग पर उड़ाएँ
लेकिन उनमें फुर्ती इतनी
बच्चों संग हैं रेस लगाएँ
पड़ोस के घर में रहने वाली
मोटी आंटी बड़ी हैं प्यारी


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