यह ब्लॉग नई और रोचक हिन्दी भाषा की कविताओं ,भजनों,गीतों इत्यादि से सुसज्जित है|सभी कृतियां मेरे द्वारा लिखित हैं और इनका कहीं भी प्रकाशन अवैध है | कुछ चित्रों को गूगल इमेजेस से लिया गया है | लेखिका : अर्चना
नसीब पर कविता "अपना-अपना एक नसीब"
नसीब पर कविता "अपना-अपना एक नसीब"
यहाँ सब ही का होता है अपना-अपना एक नसीब सदियों से चली आ रही इस दुनिया की ये ही रीत जो मुझ पर है उसकी मुझको कदर अभी क्यों होती नहीं ऊंचे से करना चाहूँ बराबरी पर कभी भी यह सोचा नहीं जो मुझ पर है वो भी तो शायद हर किसी को तो मिलता नहीं क्यों नहीं कभी खतम होती यह हिरस की राह जो मैंने है चली ?
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