राधा - राधा रटना सुबह और शाम
बाँके बिहरी का बस यही काम
ये जग करता है जिनको प्रणाम
वो तो हैं राधे के ग़ुलाम
हाँ ,वो तो हैं राधे के ग़ुलाम - ३
जब देखो कान्हा के नैना
राधा बिन नहीं इनको चैना -२
हो जब देखो कान्हा के नैना
राधा बिन नहीं इनको चैना
इनकी मुरली भी, इनकी मुरली भी,छेड़े है राधा की तान
वो तो हैं राधे के ग़ुलाम - ३
जब देखो कान्हा की सूरत
दिखती है राधा की मूरत -२
जब देखो कान्हा की सूरत
दिखती है राधा की मूरत
हो इनकी बातों में, इनकी बातों में होता किशोरी का बखान
वो तो हैं राधे के ग़ुलाम -३