कविता"ज़िंदगी"

ज़िंदगी


 

"इस कविता में जिंदगी के विभिन्न रंगों को दर्शाया गया है "


कैसी पहेली है जिंदगी
           समझ  में नहीं है आये 
जितना सुलझाना चाहो इसको
           ये उतनी ही उलझती जाये

किसी के लिए है यह होती
          जैसी हो फूलों का बिस्तर
और किसी के लिए बन जाती
         सिर्फ परेशानियों की वजह
कैसी पहेली है जिंदगी
           समझ  में नहीं है आये 

कभी न हाँसिल होता कुछ भी
          चाहे लाख ही मेहनत कर जायें
और कभी मिलता है वो भी 
           जिसकी न कल्पना कर पायें
कैसी पहेली है जिंदगी
           समझ में नहीं है आये 

जिस पर हर दम जान छिड़कते 
            वो एक दिन धोखा दे जाये
और जो होता एक अजनबी
           आखिर में वो साथ निभाये
कैसी पहेली है जिंदगी

           समझ  में नहीं है आये 


पता नहीं कहाँ है मंजिल
            फिर भी हर कोई बढ़ता जाये
             खुद को जो बहुत ताकतवर माने
               कभी कभी वो भी लड़खड़ाये


कैसी पहेली है जिंदगी

           समझ  में नहीं है आये 
जितना सुलझाना चाहो इसको
           ये उतनी ही उलझती जाये
 

अर्चना


        





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