कुछ बाबाजी

 "कुछ बाबाजी"




भोले - भाले लोगों को 
कुछ बाबाजी रोज हैं ठगते
साइन्स के कुछ प्रयोग  दिखाके
खुद को भगवान बताया करते

पर अंदर से ये बहुत मेले 
अत्याचार महिलाओं पर करते 
बाहर से दिखावे के लिए बस
ब्रह्मचर्य का पालन करते 

जितना धन ना उद्योगपतियों  पर
खजाने इनके पास में मिलते
आश्रमों में इनके ही तो 
लाठी ,तमंचे और बंदूक मिलते

ऐसे लोग ही तो औरतों को 
पुत्र प्राप्ति की दवाएं देते
पुरुषों में होते ये गुणसूत्र 
 अनपढ़ , गंवार यह कहाँ समझते

पहन कर के केसरिया चोला 
नित्य रूप नये -नये हैं धरते 
बगल में तो होता है चाकू
 होंठों से राम - राम जपा करते 

भूत-प्रेत के अस्तित्व को
ये ही हैं बढ़ावा देते
खुद जीते पांच सितारा सी  जिंदगी
जनता से सैकडों नेम- व्रत करवाते

ऐसे पाखंडी लोगों के 
ना बहकावे में कभी भी आना
वर्ना तो तन , मन और धन से
होगा इनके ही आधीन हो जाना

किस तरफ़ चला इंसान

 


किस तरफ़ चला इंसान,ये किस तरफ़ चला इंसान

बना रहा शमशान हाँ हर जगह बना रहा रहा शमशान 

 थोड़ा वर्चस्व बनाने को थोड़ा अपनी सत्ता बढ़ाने को 

ले रहा है जान मासूमों की ले रहा है जान ,

दिखाता है शान इस में भी दिखाता है शान 

देखो सोचो और सुनो ,मासूमों को मार कर तुम ना कोई प्रगति कर पाओगे 

तुम भी तो एक ना एक दिन अपने दुश्मनों की हैवानियत के शिकार हो जाओगे 

इस  हवा में जो जमकर ज़हर घोल रहे क्या तुम कहीं और साँस लेने जाओगे 

क्या फ़ायदा हुआ तुम्हारी ऊँची ऊँची डिग्रियाँ पाने का 

जब तुमने दिल से दिल जोड़ना सीखा नहीं 

क्या फ़ायदा हुआ तुम्हारा इतनी शक्ति अर्जित करने का  

जब अपने अंदर की इंसानियत को ही तुमने ठोकर मार दी  

इंसान हो अगर तो अमन शांति फेलाओ 

इंसान हो अगर तो आपस में प्रेम बढ़ाओ 

इंसान हो अगर तो सबका दिल जीत के दिखाओ